आज तक धरती पर जितने भी महान व्यक्तित्व उत्पन्न हुए हैं, वे आत्मज्ञान प्राप्त करने से पूर्व सामान्य मनुष्य ही थे — चाहे वह गौतम बुद्ध हों, ईसा मसीह हों अथवा पैग़ंबर मोहम्मद साहब। इन सभी का प्रारंभिक जीवन एक साधारण मानव के समान ही था। ये सभी भी उन्हीं समस्याओं का सामना कर रहे थे, जिनका सामना आज हम कर रहे हैं।इन अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर जानने की जिज्ञासा और उनके समाधान की खोज ने ही उन्हें महान बनाया। वे सभी इसलिए सफल हुए क्योंकि उन्होंने संयम बनाए रखा और स्वयं पर पूर्ण विश्वास किया कि एक दिन वे इन जटिल प्रश्नों के उत्तर अवश्य प्राप्त करेंगे। उन्होंने निरंतर प्रयास किया, आत्मअन्वेषण किया और अंततः आत्मज्ञान की प्राप्ति की। उसी क्षण से वे सम्पूर्ण मानवता के लिए पथप्रदर्शक बन गए।ऐसे जटिल और गहन प्रश्नों से घबराना नहीं चाहिए, अपितु उन्हें समझने और उन पर गंभीरता से विचार करने का प्रयास करना चाहिए। जब भी समय मिले, इन प्रश्नों पर मनन करते रहना चाहिए। कुछ समय पश्चात् आप अनुभव करेंगे कि आपके भीतर कोई दिव्य शक्ति कार्य कर रही है, जो आपको इन प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए प्रेरित कर रही है।धीरे-धीरे आपकी व्याकुलता समाप्त होने लगेगी। जब भी आप ध्यानपूर्वक इन प्रश्नों की ओर मन को केन्द्रित करेंगे, तो आपके भीतर आनंद की अनुभूति होने लगेगी। ऐसा प्रतीत होगा कि आपके चारों ओर का वातावरण भी आनंदमय हो गया है। आप अपने आसपास सकारात्मक परिवर्तन अनुभव करने लगेंगे। आपके आचरण और विचारों में भी सकारात्मकता आने लगेगी। यह तब संभव होता है जब आप अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा को एक ही दिशा में केन्द्रित करते हैं। जब ध्यान एक निश्चित बिंदु पर स्थिर हो जाता है, तब ऊर्जा का प्रवाह नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर होने लगता है।इसी कारण से मनुष्य सब कुछ त्याग कर ध्यान करता है और इन गूढ़ प्रश्नों के उत्तर खोजने का प्रयास करता है। इतिहास में जितने भी महापुरुष हुए, वे प्रारंभ में सामान्य मनुष्य ही थे। किंतु जब उन्होंने अपने जीवन के अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर जानने की आकांक्षा की, तब वे आत्मज्ञान की खोज में निकल पड़े। आत्मज्ञान की प्राप्ति के पश्चात् उन्हें सभी प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हुए। उन्होंने आत्मचक्षु से इस संसार को देखा और उन्हें यह बोध हुआ कि जीवन वास्तव में कितना महत्वपूर्ण है। तब उन्हें यह भी ज्ञात हुआ कि संसार के अधिकांश लोग अपने जीवन को व्यर्थ में गंवा रहे हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वास्तविक महत्व का ज्ञान नहीं है।यह कटु सत्य है कि हममें से अधिकांश को जीवन का मूल्य ज्ञात नहीं है। हमारे पास जीवन है, हम उसे जी रहे हैं, परंतु उसका मोल नहीं समझते। यदि हमें जीवन का महत्व वास्तव में ज्ञात होता, तो हम अपने जीवन को समस्त सृष्टि के कल्याण और मानवता की सेवा हेतु समर्पित कर देते, और हमारे जीवन में कोई भी क्षण व्यर्थ न जाता।दया मनुष्य का सबसे महान गुण है। जिस व्यक्ति के हृदय में समस्त जीवों के प्रति करुणा और दया की भावना नहीं है, वह वास्तव में मनुष्य कहलाने योग्य नहीं है।
किताब का नाम :जीवन ही सत्य है भाग:1..... Continue